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heart पास तुम बैठी रहो तन्हा सफर कटता नहीं साथ तु

heart पास तुम बैठी रहो 
तन्हा सफर कटता नहीं
साथ तुम चलती रहो
दूर अब मंजिल नहीं!

साँस थामना जरा
धड़कती ये तेज हैं
रोकना पलकों को भी
फड़कती ये तेज हैं!

आँधियों मैं! बारिशों में।
खुद को रोकना नहीं
मंजिल हमारी एक है
राहें   समेटना   नहीं !

साहिल की बूँदी रेत में
खुद को समेटना नहीं
कह दो जो बात दिल में है
दिल मेंं लपेटना नहीं!

आधा हूँ मैं आधी हो तुम
पूरा कर लें एक-दूजे को
इस सुनहरे अवसर का फायदा
मिलने ना दो किसी तीजे को!

भेद दिल का खोल दो
कि दिल की बात बोल दो
मेरी बातों का मोल दो
प्यार को प्यार से तौल दो!

पास तुम बैठी रहो 
तन्हा सफर कटता नहीं
साथ तुम चलती रहो
दूर अब मंजिल नहीं!

©सुशांत राजभर
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पास तुम बैठी रहो 
तन्हा सफर कटता नहीं

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