अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम सहरा-ए-ज़िंदगी में कोई दूसरा न था सुनते रहे हैं आप ही अपनी सदाएँ हम इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम तू इतनी दिल-ज़दा तो न थी ऐ शब-ए-फ़िराक़ आ तेरे रास्ते में सितारे लुटाएँ हम वो लोग अब कहाँ हैं जो कहते थे कल 'फ़राज़' हे हे ख़ुदा-न-कर्दा तुझे भी रुलाएँ हम (अहमद फराज़) ©Ramesh Puri Goswami (ravi) #गजल #अहमद_फ़राज़ #WorldAsteroidDay ajnabi Writer Anmol अर्श falak khan chisti Surya jitendra prajapati