जलियांवाला बाग में दफ़्न जुबानी थी, बाग में न जाने कितनी जवानी थी। इंसानियत को शर्मसार करने वाली ग़ुलाम भारत की हृदयविदारक कहानी थी कलम और प्रेस की बन्द रवानी थी, नर सिंहार शोणित रंगी बाग़वानी थी। काले कानून से बिलख रही बेबस जनता, त्रस्त भारत की भयावह कहानी थी। ©Jitendra VIJAYSHRI Pandey "JEET " #जीतकीनादानकलमसे #JallianwalaBagh #jallianwalabaghmassacre #Massacre #BlackDay #IndianArmy