फारूख तुम मर सकते थे ? हाँ बिल्कुल मैं कोरोना से मर सकता था जैसे लाखों मरे, मर तो मैं तब भी सकता था जब मैं 9साल का था और तालाब में डूब रहा था और मेरी मामी ने मुझे बचा लिया था, मर तो मैं उस दिन भी सकता था जब ट्रेन बिल्कुल हमारे पीछे थी ,और हमें पता भी नही था लोग चिल्लाते हुए दौड़े थे तब हमारी ओर। मर तो मैं तब भी सकता था जब मेरे हाथों की हड्डियाँ टूट गई थी ,और डॉक्टर ने मुझे बेहोशी का इंजेक्शन देकर मेरे हाथों में स्टील की 2 प्लेटें और 7 स्क्रू कसकर लगा दिए थे। मर तो मैं तब भी सकता था जब मुझे टी.बी. हुआ था और मेरे फेफड़ों में पानी जमा हो गया था जिसे डॉक्टर ने मेरी आंखों के सामने ही निकाला था। मर तो मैं अभी 2 महीने पहले भी सकता जब मेरी तेज बाईक के आगे अचानक कुत्ता आ गया और तुरन्त मर गया, उस कुत्ते के साथ सड़क पर उस दिन मैं भी मर सकता था। और भी कई ऐसे मौके आये हैं ज़िंदगी मे मेरी के मैं मर सकता था मगर मरा नही जिंदा हूँ,क्योंकि उसकी मर्जी है। मर तो हर कोई सकता है कभी भी कहीं भी किसी भी वक़्त, मर तुम भी सकते हो कल का तुम्हे क्या पता ? तो इस मुग़ालते में मत रहो कि तुमने किसी की जान बचा ली या तुम बचा सकते हो ? जान देना और जान लेना उस ख़ुदा के हाथ हैं, तू इंसान है और तेरी औकात ही क्या है? कब कौन कहाँ कैसे मरेगा ये वो ही तय करता है, उसकी मर्जी के बिना क्या कोई पत्ता भी हिलता है। जा खुश रह और दूसरों को भी खुश रहने दे, तुझसे ये ही हो जाये तो ईबादत हो जाए, और मसला ही नही दुनिया में कोई और , गर इंसान को इंसान से मोहब्बत हो जाये। दुवाएँ काम आती है अक्सर जब दवा बेअसर हो, जा तुझको भी दुआ लगे किसी की और तू भी बा सबर हो। (फारूख मोहम्मद) ©Farookh Mohammad #life#dua#farookh #Corona_Lockdown_Rush Roshni Bano