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Maa सहमा सहमा सा होता हूँ... जब अकेला होता हूँ

Maa    सहमा सहमा सा होता हूँ... जब अकेला होता हूँ मैं 
 इक घबराहट सी होती है... जब अंधेरों में होता हूँ मैं 

जो दूर तुझसे होता हुँ... चैनो सुकून से न सोता हूँ मैं 
दिन भर की भागा दौड़ी में...थक हार के थोड़ा रोता हूँ मैं 

हर पल याद आती है तेरी ...कुछ इस तरह से 
हवाये कहना चाहती हो...जैसे झिलमिला के

मेरा पहला शब्द भी तू...मेरा पहला पग भी तू 
मेरा दोस्त भी तू...  मेरा गुरु भी तू 

मेरी दुनिया भी तू... मेरा भगवान भी तू 
ये सारा आंसमां भी तू... सबसे प्यारी माँ है तू 

मेरा पहला प्यार भी तू...  मेरा घर वार भी तू 
मेरी जिंदगी भी तू...  मेरा संसार भी तू 

मेरी आस भी तू ...मेरी फरियाद भी तू
तू सदा मेरे पास रहे... ये विश्वास भी तू

पास मेरे जब कोई नहीं...ये अहसास कर लेता हूँ
तकिये को आँचल समझ तेरा...लोरीयो को दोहराता हूँ

बस प्रणाम तुझे मैं करके...सोने की कोशिश करता हूँ
चाहे दूर मैं कितना भी रहूँँ...हर पल तेरे बारे में सोचता हूँ 

भटक जाऊं जो कभी मैं...राह मूझे दिखला देना
रूठ जाऊं जो कभी मैं...एक फटकार लगा देना

नजर मुझे लगी जो थोड़ा, आँखों का काजल तू लगा देना 
बचपन समझ मुझे मेरा, साये मे अपने सदा रखना 

"माँ, ओ माँ ! आंखों से ओझल कभी ना मुझे रखना"
"माँ, ओ माँ ! ममता का आंचल सदा मुझ पर रखना"

—कुँवर विकास सिंह तोमर (Vikk!i ठाkuR) #माँ  #प्यारीमाँ #माँकीममता #कविता #विचार #सोच #वोयादें #Diaryमुलाकातोकी
Maa    सहमा सहमा सा होता हूँ... जब अकेला होता हूँ मैं 
 इक घबराहट सी होती है... जब अंधेरों में होता हूँ मैं 

जो दूर तुझसे होता हुँ... चैनो सुकून से न सोता हूँ मैं 
दिन भर की भागा दौड़ी में...थक हार के थोड़ा रोता हूँ मैं 

हर पल याद आती है तेरी ...कुछ इस तरह से 
हवाये कहना चाहती हो...जैसे झिलमिला के

मेरा पहला शब्द भी तू...मेरा पहला पग भी तू 
मेरा दोस्त भी तू...  मेरा गुरु भी तू 

मेरी दुनिया भी तू... मेरा भगवान भी तू 
ये सारा आंसमां भी तू... सबसे प्यारी माँ है तू 

मेरा पहला प्यार भी तू...  मेरा घर वार भी तू 
मेरी जिंदगी भी तू...  मेरा संसार भी तू 

मेरी आस भी तू ...मेरी फरियाद भी तू
तू सदा मेरे पास रहे... ये विश्वास भी तू

पास मेरे जब कोई नहीं...ये अहसास कर लेता हूँ
तकिये को आँचल समझ तेरा...लोरीयो को दोहराता हूँ

बस प्रणाम तुझे मैं करके...सोने की कोशिश करता हूँ
चाहे दूर मैं कितना भी रहूँँ...हर पल तेरे बारे में सोचता हूँ 

भटक जाऊं जो कभी मैं...राह मूझे दिखला देना
रूठ जाऊं जो कभी मैं...एक फटकार लगा देना

नजर मुझे लगी जो थोड़ा, आँखों का काजल तू लगा देना 
बचपन समझ मुझे मेरा, साये मे अपने सदा रखना 

"माँ, ओ माँ ! आंखों से ओझल कभी ना मुझे रखना"
"माँ, ओ माँ ! ममता का आंचल सदा मुझ पर रखना"

—कुँवर विकास सिंह तोमर (Vikk!i ठाkuR) #माँ  #प्यारीमाँ #माँकीममता #कविता #विचार #सोच #वोयादें #Diaryमुलाकातोकी