ये रातो के अँधेरो को, तो बस जुगनु समझता है। ये दूरी की तड़प है क्या? तेरा मजनू समझता है। मेरा हर लफ्ज मोहब्बत है, दिल-ए-पैगाम है लेकिन, करू इजहार मोहब्बत तो, शरारत तू समझता है... #समझता_है