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अर्थ रहित मात्राओं से शब्द वाक्य बन जाते हैं। अर्थ

अर्थ रहित मात्राओं से शब्द वाक्य बन जाते हैं।
अर्थ अनेकों दे दे कर वह अलंकार बतलाते हैं।
जैसे स्वाद रहित पानी सीपी में मोती बन जाते हैं।
वैसे ही अनुराग रहित गुरुओं से मिलकर ,
अज्ञानी भी नित ज्ञानी बन जाते हैं।

©Ajay Kumar Mishra अर्थ रहित
अर्थ रहित मात्राओं से शब्द वाक्य बन जाते हैं।
अर्थ अनेकों दे दे कर वह अलंकार बतलाते हैं।
जैसे स्वाद रहित पानी सीपी में मोती बन जाते हैं।
वैसे ही अनुराग रहित गुरुओं से मिलकर ,
अज्ञानी भी नित ज्ञानी बन जाते हैं।

©Ajay Kumar Mishra अर्थ रहित

अर्थ रहित #कविता