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सारे दर्दो को दरिया कर आगे बढ़ गया में मगर चहतो के

सारे दर्दो को दरिया कर आगे
बढ़ गया में
मगर चहतो के मंजर मेरी 
कस्ती फस रहीं थीं
आसू लिए निगाहें
सिर्फ उनको ही तलाशे
मगर वो खुद ही मेरे दर्द में
खुल खुल कर हस रही थी pintu BHA 848@gmail com
सारे दर्दो को दरिया कर आगे
बढ़ गया में
मगर चहतो के मंजर मेरी 
कस्ती फस रहीं थीं
आसू लिए निगाहें
सिर्फ उनको ही तलाशे
मगर वो खुद ही मेरे दर्द में
खुल खुल कर हस रही थी pintu BHA 848@gmail com
pintubhai7828

pintu bhai

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