सारे दर्दो को दरिया कर आगे बढ़ गया में मगर चहतो के मंजर मेरी कस्ती फस रहीं थीं आसू लिए निगाहें सिर्फ उनको ही तलाशे मगर वो खुद ही मेरे दर्द में खुल खुल कर हस रही थी pintu BHA 848@gmail com