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ए भारत माँ तू धन्य है, धन्य है यह तेरे लाल। आए जब

ए भारत माँ तू धन्य है,
धन्य है यह तेरे लाल। 
आए जब जब भी संकट तुझ पर, 
डटे रहे यह बनकर ढाल।

चाहे मरुस्थल की गर्म रेत हो, 
चाहे हो सियाचिन का सर्द माहौल।
तिरंगे के दीवानों ने, 
हर पल हर दम करी इसकी संभाल।

कट गए सर कितनों के, 
कितनों ने गवाए घर के लाल।
जलती रही फिर भी सदा सीने में,
देश प्रेम की यह मशाल। 

65,71 या हो 99
रची दुश्मनों ने जितनी भी चाल,
भारतीय सैनिक जब भी उतरे जंग में, 
तो बन के निकले दुश्मनों के काल।

ए भारत माँ तू धन्य है,
धन्य है यह तेरे लाल। 
आए जब जब भी संकट तुझ पर, 
डटे रहे यह बनकर ढाल।

-पीयूष प्रार्थी।

©Piyush Prarthi #Kargil
ए भारत माँ तू धन्य है,
धन्य है यह तेरे लाल। 
आए जब जब भी संकट तुझ पर, 
डटे रहे यह बनकर ढाल।

चाहे मरुस्थल की गर्म रेत हो, 
चाहे हो सियाचिन का सर्द माहौल।
तिरंगे के दीवानों ने, 
हर पल हर दम करी इसकी संभाल।

कट गए सर कितनों के, 
कितनों ने गवाए घर के लाल।
जलती रही फिर भी सदा सीने में,
देश प्रेम की यह मशाल। 

65,71 या हो 99
रची दुश्मनों ने जितनी भी चाल,
भारतीय सैनिक जब भी उतरे जंग में, 
तो बन के निकले दुश्मनों के काल।

ए भारत माँ तू धन्य है,
धन्य है यह तेरे लाल। 
आए जब जब भी संकट तुझ पर, 
डटे रहे यह बनकर ढाल।

-पीयूष प्रार्थी।

©Piyush Prarthi #Kargil