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बसंत का आगमन हुआ, महक उठी सारी धरा, दे प्रकृति को

बसंत का आगमन हुआ,
महक उठी सारी धरा,
दे प्रकृति को नया रंग,
कर धरती का अनुपम श्रृंगार,
मानों नई दुल्हन हो,
हर डाल डाल पर बोलती कोयलें,
धारण करके नव कोपल,
 स्वर्णिम किरणों ओढ़ ली हो चादर। सौजन्य से:- साहित्यिक समाज

👉आइए आज लिखते हैं कुछ बसंत ऋतु पर पर ...

यह कोई प्रतियोगिता नही और न ही "साहित्यिक समाज" किसी भी कवि/ कवियित्रियों को हार जीत के तराज़ू में तौलने को इक्षुक है, यहाँ लिखने और सीखने में रुचि रखने वालों के लिए प्रत्येक दिन सिर्फ एक विषय दिया जाता है, जिसे वो अपने लेखनी के माध्यम से सजाते व सँवारते हैं।
"साहित्यिक समाज" आप सभी कलमकारों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
बसंत का आगमन हुआ,
महक उठी सारी धरा,
दे प्रकृति को नया रंग,
कर धरती का अनुपम श्रृंगार,
मानों नई दुल्हन हो,
हर डाल डाल पर बोलती कोयलें,
धारण करके नव कोपल,
 स्वर्णिम किरणों ओढ़ ली हो चादर। सौजन्य से:- साहित्यिक समाज

👉आइए आज लिखते हैं कुछ बसंत ऋतु पर पर ...

यह कोई प्रतियोगिता नही और न ही "साहित्यिक समाज" किसी भी कवि/ कवियित्रियों को हार जीत के तराज़ू में तौलने को इक्षुक है, यहाँ लिखने और सीखने में रुचि रखने वालों के लिए प्रत्येक दिन सिर्फ एक विषय दिया जाता है, जिसे वो अपने लेखनी के माध्यम से सजाते व सँवारते हैं।
"साहित्यिक समाज" आप सभी कलमकारों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
mrsrosysumbriade8729

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