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शबरी ने राम को खिलाए थे, शबरी को कौन खिलाएँगे, जिस

शबरी ने राम को खिलाए थे, शबरी को कौन खिलाएँगे,
जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे।

जहाँ एकलव्य की निष्ठा को, मिलबाँट के राजा खाएँगे,
जहाँ धनवानों के लालच से, लाचार दबाए जाएँगे,
जहाँ मासूमों की अस्मत पर हैवान नज़र उठाएँगे,
जहाँ छोटे छोटे देश के बच्चे माँग के रोटी खाएँगे,

जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे।

जहाँ राजनीत के खेतों में, बनवारे बोए जाएँगे,
जहाँ अलग अलग रँगों के परचम, शान से लहराएंगे,
जहाँ धर्मग्रंथ भी इंसां को आतंक का पाठ पढ़ाएँगे,
जहाँ छुरी बगल में रखकर बंदे राम राम गुन गाएँगें,

जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे।
रविकुमार... शबरी ने राम को खिलाए थे, शबरी को कौन खिलाएँगे,
जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे।

जहाँ एकलव्य की निष्ठा को, मिलबाँट के राजा खाएँगे,
जहाँ धनवानों के लालच से, लाचार दबाए जाएँगे,
जहाँ मासूमों की अस्मत पर हैवान नज़र उठाएँगे,
जहाँ छोटे छोटे देश के बच्चे माँग के रोटी खाएँगे,
शबरी ने राम को खिलाए थे, शबरी को कौन खिलाएँगे,
जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे।

जहाँ एकलव्य की निष्ठा को, मिलबाँट के राजा खाएँगे,
जहाँ धनवानों के लालच से, लाचार दबाए जाएँगे,
जहाँ मासूमों की अस्मत पर हैवान नज़र उठाएँगे,
जहाँ छोटे छोटे देश के बच्चे माँग के रोटी खाएँगे,

जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे।

जहाँ राजनीत के खेतों में, बनवारे बोए जाएँगे,
जहाँ अलग अलग रँगों के परचम, शान से लहराएंगे,
जहाँ धर्मग्रंथ भी इंसां को आतंक का पाठ पढ़ाएँगे,
जहाँ छुरी बगल में रखकर बंदे राम राम गुन गाएँगें,

जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे।
रविकुमार... शबरी ने राम को खिलाए थे, शबरी को कौन खिलाएँगे,
जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे।

जहाँ एकलव्य की निष्ठा को, मिलबाँट के राजा खाएँगे,
जहाँ धनवानों के लालच से, लाचार दबाए जाएँगे,
जहाँ मासूमों की अस्मत पर हैवान नज़र उठाएँगे,
जहाँ छोटे छोटे देश के बच्चे माँग के रोटी खाएँगे,

शबरी ने राम को खिलाए थे, शबरी को कौन खिलाएँगे, जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे। जहाँ एकलव्य की निष्ठा को, मिलबाँट के राजा खाएँगे, जहाँ धनवानों के लालच से, लाचार दबाए जाएँगे, जहाँ मासूमों की अस्मत पर हैवान नज़र उठाएँगे, जहाँ छोटे छोटे देश के बच्चे माँग के रोटी खाएँगे,