Nojoto: Largest Storytelling Platform

एक डरी हुई सी लड़की . एक डरी हुई सी लड़की जो अपनी

एक डरी हुई सी लड़की .

एक डरी हुई सी लड़की जो अपनी ही दुनिया में रहा करती थी..
ना जाने कहाँ जाना था उसे..
अपने सपनो से खुद हीं अनजान थी वो..
एक फरिश्ता है उसके पास भी जिनमें वो अपना role model देखा करती हैं..
अपने पापा को वो सदा वो अपनी प्रेरणा कहा करती हैं.. 
मम्मी से रहता है उसका 36 का आकडाँ..
पर है उसे भी पता की वो लाडली हैं उनकी भी..

वो बंद कमरे में खुद से कुछ सवाल किया करती थी..
किताबों से बडा़ प्यार था उसे.. 
वो किताबे खोलकर अक्सर अपने सपनो के महल बनाया करती थी.
लोगों की महफिल में जाने से हमेशा घबराया करती थी..
खुद को मम्मी के पल्लू में छुपा के वो उन महफिल से गायब हो जाया करती थी..
एक डरी हुई सी लड़की जो अपनी ही दुनिया में रहा करती थी!


रूबरू थी ल इस हकीकत से भी, 
की कब तक ऐसे ही अनजान बनी रहेगी..
थी बनाने उसे भी अपनी पहचान नयी..
कुछ ख्वाइशे.. कुछ सपने लेकर पहुँची एक खूबसुरत शहर .. उदयपुर..
था पूरा होसला उसे की यही वो सपनो का शहर है जो देगा उसे एक राह नयी..
pacific college का रास्ता अब उसने अपने दिल में कुछ यूँ बसा लिया हैं.. जेसे अंधेरे को दीपक की चाह..

अब वो भी मुसकुराने लगी हैं..
अब वो भी बतियाने लगी हैं..
वो डरी हुई लड़की अब दुसरो को डरा भी दिया करती हैं..
 
सीख गयी थी वो भी अब बेखोफ रहना.. 
खुद को महफिल में छुपाने वाली अब महफिल की रौनक़ बन जाया करती हैं..
एक डरी हुई लड़की हुआ करती थी.. यह कहानी वो अब सबको सुनाया करती हैं! 
                                              - by Kratika. here i presenting a poem in which i tried to describe myself.. how i was in my past .. reflecting some shades of how i completely changed myself in present .. after joining pacific college!😄😍
एक डरी हुई सी लड़की .

एक डरी हुई सी लड़की जो अपनी ही दुनिया में रहा करती थी..
ना जाने कहाँ जाना था उसे..
अपने सपनो से खुद हीं अनजान थी वो..
एक फरिश्ता है उसके पास भी जिनमें वो अपना role model देखा करती हैं..
अपने पापा को वो सदा वो अपनी प्रेरणा कहा करती हैं.. 
मम्मी से रहता है उसका 36 का आकडाँ..
पर है उसे भी पता की वो लाडली हैं उनकी भी..

वो बंद कमरे में खुद से कुछ सवाल किया करती थी..
किताबों से बडा़ प्यार था उसे.. 
वो किताबे खोलकर अक्सर अपने सपनो के महल बनाया करती थी.
लोगों की महफिल में जाने से हमेशा घबराया करती थी..
खुद को मम्मी के पल्लू में छुपा के वो उन महफिल से गायब हो जाया करती थी..
एक डरी हुई सी लड़की जो अपनी ही दुनिया में रहा करती थी!


रूबरू थी ल इस हकीकत से भी, 
की कब तक ऐसे ही अनजान बनी रहेगी..
थी बनाने उसे भी अपनी पहचान नयी..
कुछ ख्वाइशे.. कुछ सपने लेकर पहुँची एक खूबसुरत शहर .. उदयपुर..
था पूरा होसला उसे की यही वो सपनो का शहर है जो देगा उसे एक राह नयी..
pacific college का रास्ता अब उसने अपने दिल में कुछ यूँ बसा लिया हैं.. जेसे अंधेरे को दीपक की चाह..

अब वो भी मुसकुराने लगी हैं..
अब वो भी बतियाने लगी हैं..
वो डरी हुई लड़की अब दुसरो को डरा भी दिया करती हैं..
 
सीख गयी थी वो भी अब बेखोफ रहना.. 
खुद को महफिल में छुपाने वाली अब महफिल की रौनक़ बन जाया करती हैं..
एक डरी हुई लड़की हुआ करती थी.. यह कहानी वो अब सबको सुनाया करती हैं! 
                                              - by Kratika. here i presenting a poem in which i tried to describe myself.. how i was in my past .. reflecting some shades of how i completely changed myself in present .. after joining pacific college!😄😍
kratikajain6144

Kratika jain

New Creator