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बुर्का या घूंघट कातिलों की कातिल निगाहों से, मह

बुर्का या घूंघट 


कातिलों की कातिल निगाहों से,
महफूज क्या ये नकाब रख पाएगा,
दो तालीम उन्हें स्वयं की हिफाजत स्वयं करने की
तभी तो उनके(लड़कियों)जीवन में इंकलाब आएगा

written by - sanket bhardwaj

©Sanket 
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