|| शबरी मां का इंतजार || गुरु का उपदेश लेकर चली कुटिया में रहने । कीर्तन करती संतो संग बनाती फूलों की मालाएं । चखती बेर ; प्रभु राम के लिए मीठे बेर रखती ..... फूलों की शोभा से यात्रा मार्ग संवारती । करती प्रतिदिन प्रतीक्षा अपने प्रभु श्री राम की ।। • पढ़े अनुशीर्षक में • वर्षों व्यतीत हुए .... संत कहते कहां हैं तुम्हारे प्रभु राम ?? मां कहती मेरे गुरु के उपदेश गलत नहीं हो सकते हैं । आयेंगे प्रभु अपनी भार्या की खोज में .....