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मैं कौन हूं?? मैं आग सा जलता सूरज हूं और शीतल शशि

मैं कौन हूं??

मैं आग सा जलता सूरज हूं और शीतल शशि भी हूं
मैं नटखट शरारती बच्चा कोई और कर्म योगी ऋषि भी हूं..

मैं गांव की खूबसूरती में लहलहाते किसी खेत सा हूं
मैं कभी जंजीरों में जकड़ी तो कभी हाथों से छूटती हुई रेत सा हूं..

मैं जरा अधीर हूं, जो परेशानियों से थोड़ा घबरा जाता है
मैं वो साहस हूं, जो सच के लिए हर चीज से टकरा जाता है..

मैं धैर्यवान राम भी हूं और जरा सनकी रावण भी हूं
मैं पतझड़ बन जाता कभी और कभी बरसता हुआ सावन भी हूं..

मैं बेशक सादा हूं कोरे कागज सा, पर सपने रंगीन रखता हूं
मंजिल मेरा आसमान है पर दिल में अब भी ज़मीन रखता हूं..

मैं मौत के सायों में हूं पलता जैसे राज कोई गहरा सा
मैं काफी शांत सा हूं जैसे समंदर कोई ठहरा सा..

मेरी ख्वाहिश है ये, मैं उदास चेहरों का मुस्कान बना रहा रहुं
जब तक ये धरती रहे तब तक उसका आसमान बना रहा रहुं..

          - शिवानी दि्वेदी

©Shivani Dwivedi #mainkaunhoon
मैं कौन हूं??

मैं आग सा जलता सूरज हूं और शीतल शशि भी हूं
मैं नटखट शरारती बच्चा कोई और कर्म योगी ऋषि भी हूं..

मैं गांव की खूबसूरती में लहलहाते किसी खेत सा हूं
मैं कभी जंजीरों में जकड़ी तो कभी हाथों से छूटती हुई रेत सा हूं..

मैं जरा अधीर हूं, जो परेशानियों से थोड़ा घबरा जाता है
मैं वो साहस हूं, जो सच के लिए हर चीज से टकरा जाता है..

मैं धैर्यवान राम भी हूं और जरा सनकी रावण भी हूं
मैं पतझड़ बन जाता कभी और कभी बरसता हुआ सावन भी हूं..

मैं बेशक सादा हूं कोरे कागज सा, पर सपने रंगीन रखता हूं
मंजिल मेरा आसमान है पर दिल में अब भी ज़मीन रखता हूं..

मैं मौत के सायों में हूं पलता जैसे राज कोई गहरा सा
मैं काफी शांत सा हूं जैसे समंदर कोई ठहरा सा..

मेरी ख्वाहिश है ये, मैं उदास चेहरों का मुस्कान बना रहा रहुं
जब तक ये धरती रहे तब तक उसका आसमान बना रहा रहुं..

          - शिवानी दि्वेदी

©Shivani Dwivedi #mainkaunhoon