बुझी समा भी जल सकती हैं, तुफा से कशती भी निकल सकती हैं, होके मायुस युं ना अपने इरादे बदल तेरी किसमत कभी भी बदल सकती हैं ©Hemant Singh मोटीवेट शायरी #Thoughts