बाज'दफ़ा कह नहीं पाते हम जो बात दिल में होती! रह रह कर उठती रहती टीस बची एक ख़लिस दिल में होती मुद्दई होकर भी कह नहीं पाते अजब सी कसक दिल में होती इतने मसरूफ तो नहीं है हम कि सुने नहीं जो दस्तक दिल में होती बे-इंतिहा मोहब्बत है तुमसे समझो आँखों वही कहती जो दिल में होती पेश कर दिया दिल का कलाम अपना कह दिया करो तुम जो बात दिल में होती ♥️ Challenge-959 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।