प्रेम बंधन है जो दिलों के दरम्यान टूट जाना इस डोर का आसां नहीं तेरी निग़ाहों ने जो घायल किया हमें मिटते अब तेरे इश्क़ के निशां नहीं हर जनम ये बंदिश मुझे क़बूल है इश्क़ ही इस ज़िंदगी का उसूल है तुमसें ही है धड़कनों की जुम्बिश मेरे लिए तू ही मेरा एक रसूल है ओढ़ कर चांदनी शब आई है फिर यादें तेरी मोहब्बत की लाई है फिर खोने लगा हूँ तेरे ख्वाबों में दुबारा एक मदहोशी मुझपर छाई है फिर मरते दम तक ये बंधन टूटे नहीं साँसें छूटे मगर ये साथ छूटे नहीं मुक़म्मल न हो सफ़ऱ ज़ीस्त का भले हमसफ़र मेरा मुझसे बस रूठे नहीं ♥️ Challenge-730 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।