घणी घणी तकलीफ़ देखी बापू टाबरां रा वास्ते... कीश्यान कमाया ख़र्चया भणाया गणाया दुनिया में जीवां रा लायक बणाया फ़र्ज़ रे वास्ते जमानो बदल्यो के छोरा छोरी बदल गया गाँव अबे आशे कोणी आवे शेरां रा पिजां खावे क़र्ज का लेइ लिदा घर गाँव मे मुड़ ने देखे फर... जीवी रया है के कर रह्या जुगाड़.. माँ बाप आशा सूं देखर्या आँख्या फाड़ फाड़.. वो बंद किंवाड़...कुण खोलेगा... खम्मा घणी सा इतरा दिणा तांई कोई चैलेंज कोनी दे पायो, वा रे वास्ते आप सब म्हाने माफ करज्यो अर आज रे वाक्य सागे कोलेब करज्यो। " वो बंद किवांड " - " वह बन्द दरवाज़ा " #YQRajasthani #म्हारोराजस्थान #म्हारी_भासा_म्हारो_स्वाभिमान