शिकायत.... ये वक़्त हमेशा ही किसी सख़्त बाप की तरह क्यों पेश आता है कभी यूँ भी तो हो की ये नर्म दिल माँ की तरह मेरे सर पर हाथ फेर जाये तेज़ जाड़े सी कंपकपाहट हमेशा दे जाता है कम्बख़त कभी स्वेटर सा लिपट कर जिस्म से रूह तक गर्माहट का एहसास भी तो करा जाये ये वक़्त किसी संगदिल सनम सा है जो पास आ आ कर मुँह मोड़ लेता है मेरा कहना है कि कभी तो ये वफ़ादार हमसफ़र सा हक़ भी अदा कर जाये Musings - 16/8/18