Nojoto: Largest Storytelling Platform

अक्सर लोग कहते हैं  प्रेम के विरह में इंसान, क्या

अक्सर लोग कहते हैं  प्रेम के विरह में इंसान, 
क्या कुछ कर बैठता हैं, 
कभी  अश्रु बहाता हैं,  तो कभी  पागलों की तरह अपना आपा खो बैठता हैं। 
न जाने कितने एसे अनगिनत, 
भावनात्मक हादसों की बारिशें हो जाती हैं, 
कभी विरह की धूप में, उदासी की चादर ओढ़, 
चुपचाप वक्त को सजा समझ काटता रहता हैं। 
लेकीन पता है  तुमसे दूर हो कर मैंने ये जाना  
पहली बार .....
दूरियों के फासले भी  हमारे प्रेम को, 
दूर नहीं कर पाये.......
हर दिन  , हर वक़्त  , हर सुबह  , हर  रात  ,
एक  एक  क्षण  मैंने तुम्हें  अपने पास  एहसास  किया हैं, 
तुम्हारें साथ  बिताए  हर  एक उस  वक्त को  ,
ख़यालों मे हकीकत की तरह जिया हैं, 
आखिर  ये दूर होना  और भी मजबूत कर गया, 
मेरे प्यार और ज़ज्बात को, 
सच में  याद आता है वो वक्त  जब तुम अपनी बचकानी, 
हरकत से कह जाते चिंता मत करो में हूँ ना, 
और हर बड़ी से बड़ी मुश्किल को जादूगर की तरह, 
जैसे  गायब कर देते......
तुमसे मिलने  के बाद  ,  शायद ही  मैंने कभी किसी को समझने की कोशिश की होगी ,
न सिर्फ ख्यालों में,  मेरे दिल और दिमाग हर एक, 
जगह तुमने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया और, 
मैं समझ ही न पाई ये कैसे.....?
जिसने कभी अपने अलावा  शायद कभी किसी की कोई बात मानी ना हो, 
आज किसी और को संपूर्ण समर्पित कर, 
वक्त की देह पर अपना नाम लिख, 
उस वक्त को फिर से लौट आने का  इंतजार कर  रही हैं, 
जब  हमेशा  -हमेशा  के लिए फिर से तुम्हारें माथे को, 
अपनी गोद में रख सहला सके, 
तुम्हारे पैरो की थकान को अपने हाथों से निचोड़, 
तुम्हें वो सारी  सुकूँ की रात और नींद लौटा सके, 
जो शायद कभी मेरी नादानी की वज़ह से, 
तुमसे रूठ कर चली  गई थी। 
इसलिए नहीं कि मैं तुम्हारी अर्धांगिनी हूँ, 
ये तो सिर्फ और सिर्फ प्रेम हैं मेरा, 
जो मुझे ये सब कर मन को सुकूँ देता है, 
और शायद यही वज़ह हैं... हर  बार  , बार  बार  ....
नकारने पर भी  वहीं खडी हूँ  जहाँ  में  थी.......
तुम्हारें  हाथ को थामने और फिर से  जिंदगी में आगे बढ़ने....
सिर्फ  .. और  सिर्फ   तुम्हारी  ...... 

कविता

©Kavita jayesh Panot
  #एक पत्र #प्रेम #एहसास #वक्त