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मैं डूब रहा हूँ दुनिया तेरी रौनक से मैं अब ऊब रहा

मैं डूब रहा हूँ

दुनिया तेरी रौनक से मैं अब ऊब रहा हूँ।
तू चांद मुझे कहती थी मैं डूब रहा हूँ।।

अब कोई शनासा भी दिखाई नहीं देता।
बरसों से इसी गाँव का महबूब रहा हूँ।।

मैं ख्वाब नहीं आपकी आंखों की तरह था। 
मैं अपका लहजा नही असलूब रहा हूँ।।

सच्चाई तो यह है कि तेरे करिया-ए-दिल मे।
इक वह भी जमाना था कि मैं खूब रहा हूँ।।

इस गाँव के पत्थर भी गवाही मेरी देंगे।
सहरा भी बता देंगे कि मज़जूब रहा हूँ।।

दूनियाँ मुझे साहिल से खडी देख रही है।
मैं एक ज़जीरे की तरह डूब रहा हूँ।।

फेंक आये थे मेरे अपने भी मुझको।
मैं सब्र में रमज़ानी रहा हूँ।।

©MSA RAMZANI
  गज़ल
 Harsh gupta  Pooja Udeshi  Tushar Yadav  Anupriya  Mukesh Poonia
मैं डूब रहा हूँ

दुनिया तेरी रौनक से मैं अब ऊब रहा हूँ।
तू चांद मुझे कहती थी मैं डूब रहा हूँ।।

अब कोई शनासा भी दिखाई नहीं देता।
बरसों से इसी गाँव का महबूब रहा हूँ।।

मैं ख्वाब नहीं आपकी आंखों की तरह था। 
मैं अपका लहजा नही असलूब रहा हूँ।।

सच्चाई तो यह है कि तेरे करिया-ए-दिल मे।
इक वह भी जमाना था कि मैं खूब रहा हूँ।।

इस गाँव के पत्थर भी गवाही मेरी देंगे।
सहरा भी बता देंगे कि मज़जूब रहा हूँ।।

दूनियाँ मुझे साहिल से खडी देख रही है।
मैं एक ज़जीरे की तरह डूब रहा हूँ।।

फेंक आये थे मेरे अपने भी मुझको।
मैं सब्र में रमज़ानी रहा हूँ।।

©MSA RAMZANI
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mohdsamshadali7461

MSA RAMZANI

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