Nojoto: Largest Storytelling Platform

छल से भरे रिश्ते 😒 जब भावनाओ को प्रगट कर देती हूँ

छल से भरे रिश्ते 😒
जब भावनाओ को प्रगट कर देती हूँ
लोग अपनी चालाकियाँ प्रगट करते हैं
इंसान रिस्तो के बाजार में कोई अपना नही होता
सतरंज कि गोटियों कि तरह चाल बिछाए बैठे हैं
मै हराना जिसे नही चाहती
वो दाव लगाए बैठे हैं
कहते हैं सब अपने हैं
लेकिन ऐसा जब भी मैंने सोचा
तो सब नकाब उठाये बैठे हैं

©मेंरी आवाज़ ही पहचान बने
  bhawnao ki kadar nhi

bhawnao ki kadar nhi #कविता

144 Views