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मेरे ना सही वो कोई और के तो हे प्यासा ही सही मगर

 मेरे ना सही वो कोई और के तो हे
 प्यासा ही सही मगर समंदर तो हे
क्या हुवा गर माहताब नही आस्माँ पे
बादलों के बीच थोडे  सितारें तो हे
 गम उदासी  थोडे अश्क़ और तन्हाई
हे जो भी मगर उस से मिले सहारें तो हे
क़यू चाहें हम मुहोबत गर न देना चाहे वो
अपनी ज़िंदगी और गम के खज़ाने तो हे
 मेरे ना सही वो कोई और के तो हे
 प्यासा ही सही मगर समंदर तो हे
क्या हुवा गर माहताब नही आस्माँ पे
बादलों के बीच थोडे  सितारें तो हे
 गम उदासी  थोडे अश्क़ और तन्हाई
हे जो भी मगर उस से मिले सहारें तो हे
क़यू चाहें हम मुहोबत गर न देना चाहे वो
अपनी ज़िंदगी और गम के खज़ाने तो हे
shilpa5794403920118

Shilpa

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