मुंशी प्रेमचंद एक साहित्यकार नहीं अपितु स्वयं जीवित एक काल है। सृजन की धरा पर उपन्यासकार और कहानीकार से भी स्वरूप विकराल है।। आदित्य कुमार भारती #Munsi Premchand