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चला था पथ पर नजाकत से लहजा जरा रखा था नम्र इत्र

चला था पथ पर नजाकत से 
लहजा जरा रखा था नम्र 
इत्र भी छिरका था जिस्म पर 
मन में ख्वाहिश हजार रख चला था
सौदा करने इस अकेले दिल का 
दीदार हुआ एक  चांद से
हां दीदार हुआ  एक चांद से ...२
पर कम्बख़त उसकी चांदनी यूं
रंग लाई 
कि बिता २ महीने जिंदगी अस्पताल में  #निकला था ईश्क की खोज में 
मिला खुद को एक अस्पताल में 
#verycomplicated #ydidi #kunu
चला था पथ पर नजाकत से 
लहजा जरा रखा था नम्र 
इत्र भी छिरका था जिस्म पर 
मन में ख्वाहिश हजार रख चला था
सौदा करने इस अकेले दिल का 
दीदार हुआ एक  चांद से
हां दीदार हुआ  एक चांद से ...२
पर कम्बख़त उसकी चांदनी यूं
रंग लाई 
कि बिता २ महीने जिंदगी अस्पताल में  #निकला था ईश्क की खोज में 
मिला खुद को एक अस्पताल में 
#verycomplicated #ydidi #kunu
kunalkarn5063

Author kunal

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