चला था पथ पर नजाकत से लहजा जरा रखा था नम्र इत्र भी छिरका था जिस्म पर मन में ख्वाहिश हजार रख चला था सौदा करने इस अकेले दिल का दीदार हुआ एक चांद से हां दीदार हुआ एक चांद से ...२ पर कम्बख़त उसकी चांदनी यूं रंग लाई कि बिता २ महीने जिंदगी अस्पताल में #निकला था ईश्क की खोज में मिला खुद को एक अस्पताल में #verycomplicated #ydidi #kunu