ऐसे तेरा रूठ जाना, बिन कुछ कहे तेरा दूर हो जाना। मैं बेख़बर तो नहीं रहता तेरी बातों से, फिर तू क्यों बात नहीं करती? कोई वज़ह तो होगी..... मैं इतना भी कच्चा नहीं हूँ मोहब्बत का, प्यार के गीत मैं भी गुनगुनाता हूँ। नजदीकियां भी बढ़ गयी हैं, हम दोनों की... फिर भी खामोश क्यों है तू? कोई वज़ह तो होगी..... ज़िल्लत भरी जिन्दगी थी मेरी, इन्साफ की आश किससे रखता? तेरी मोहब्बत में सब कुछ भुला दिया, दिल के हरेक ज़र्रे में तेरी ही तस्वीर है, जाने क्यों? कोई वज़ह तो होगी..... तेरे ना होने से धड़कनें बढ़ने लगती हैं मेरी, तेरे क़रीब होने से खुद को मुकम्मल महसूस करता हूँ.... अब आ गयी हो दूर ना जाना मुझसे, ऐसे फिर से तेरा लौट आना, आखिर कोई वजह तो होगी..... अब लेकिन चाहे कुछ भी हो, मुक़ाबला करूँगा सबसे.... अपने आप से, और उन सभी से, सबका मेरे लिए इस तरह ज़हर बरसाना, आखिर, कोई वज़ह तो होगी.......