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जो ठोकरें देकर गिराते थे,  उन्हें ठाकुर बना लिया

जो ठोकरें देकर गिराते थे,  उन्हें ठाकुर बना लिया

बात लोगों को समझ नहीं आई कहा ये क्या किया 

कहा आँखें खुली ना थी तब तक ठोकरें खा लिया 

जिस मिट्टी ने उन्हें बनाया था, हाथों हाथ उठा लिया 

तिलक लगाकर माथे पर, पगड़ी अपना बचा लिया 

जिनसे हम ठोकरें खाते रहे उन्हें 'ख़ुदा' बना लिया

लेखक -प्रमोद मिश्र ( रांँची )

©अनुषी का पिटारा.. #PhisaltaSamay #संस्कार #भारतीय_संस्कृति #अनुषी_का_पिटारा
जो ठोकरें देकर गिराते थे,  उन्हें ठाकुर बना लिया

बात लोगों को समझ नहीं आई कहा ये क्या किया 

कहा आँखें खुली ना थी तब तक ठोकरें खा लिया 

जिस मिट्टी ने उन्हें बनाया था, हाथों हाथ उठा लिया 

तिलक लगाकर माथे पर, पगड़ी अपना बचा लिया 

जिनसे हम ठोकरें खाते रहे उन्हें 'ख़ुदा' बना लिया

लेखक -प्रमोद मिश्र ( रांँची )

©अनुषी का पिटारा.. #PhisaltaSamay #संस्कार #भारतीय_संस्कृति #अनुषी_का_पिटारा