काँटों का दामन ( अनुशीर्षक में पढ़ें) हो जाती हूँ कभी मैं ख़ुद से हताश, हौसला भी मैं अपने अंदर समेट लेती हूँ। दिल चाहे कितना भी दुखे मेरा, उसे छुपा मैं हँस लेती हूँ। आँसुओं को छलकने नहीं देती मैं, उनको मैं खामोशी से पी लेती हूँ।