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मैं फूल चुनुं तेरे दामन के लिए पर तुम काँटों से उल

मैं फूल चुनुं तेरे दामन के लिए
पर तुम काँटों से उलझी जाती हो

मेरे प्यार को न जाने क्यों तुम
जुठला- झुठला जाती हो

मैं फूल चुनुं तेरे.....  

पाँव पड़े जिस जमीं पर तेरे उस
जमीं को फूलों से सजाया करता हूँ

मैं आज भी अपने दिल की धड़कन
तेरे नाम से धड़काया करता हूँ

मैं फूल चुनुं तेरे.... 

आ देख कभी मेरी आँखों में कितने
सपने जीते है

हम बैठ अकेले तन्हाई में तेरी नाम की
मदिरा पीते है

मैं फूल चुनुं तेरे....

जो तू न समझे मेरी चाहत को तो 
चाहत की महफ़िल अधूरी है

सूनी मेरे दिल की चोखट सूना दिल का
कोना है, 

तेरे सिवा मेरे दिल का खुदा और
कोई न होना है.

©पथिक..
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