Nojoto: Largest Storytelling Platform

सर्दी बहुत है,सोता हूं महंगी रजाई में, नींद आ जाती

सर्दी बहुत है,सोता हूं महंगी रजाई में,
नींद आ जाती है,ठंड नहीं लगती।
पर अक़्सर भूल जाता हूं, सो जाता हूं,पर जब आंख खुलती है नहीं होता हूं रजाई में।
तब उठ कर बैठ जाता हूं,आधी रात,लिए आंखों में बहता हुआ झरना,याद आती है मां,ये कहते हुए,,,बेटा,,क्या कुछ गढ़ता है रजाई में।
में करवट बदल कर फिर सो जाता,
मां छुपा देती थी फिर रजाई में।। मां तुम बिन नींद कहां,
सर्दी बहुत है,सोता हूं महंगी रजाई में,
नींद आ जाती है,ठंड नहीं लगती।
पर अक़्सर भूल जाता हूं, सो जाता हूं,पर जब आंख खुलती है नहीं होता हूं रजाई में।
तब उठ कर बैठ जाता हूं,आधी रात,लिए आंखों में बहता हुआ झरना,याद आती है मां,ये कहते हुए,,,बेटा,,क्या कुछ गढ़ता है रजाई में।
में करवट बदल कर फिर सो जाता,
मां छुपा देती थी फिर रजाई में।। मां तुम बिन नींद कहां,
rajeshrajak4763

Rajesh rajak

New Creator

मां तुम बिन नींद कहां,