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मैं अपनों के लिए खुद हिस्से की अपनी खूबसूरत चीज छो

मैं अपनों के लिए
खुद हिस्से की अपनी खूबसूरत चीज छोड़ हूं।
कृतज्ञता का भावार्थ नहीं है मैं खुद खो रहा हूं।

सब सहज नहीं इतना जितना मैं बतलाता हूं।
झुठी दिलासो में खुद के दिल को झुठलाता हूं 

हरबार हम जो सोच ले मनमुताबिक हो ही कहा पाता है।
कुछ किरदारों में रंग भरा होने पर भी कुछ अधुरा रह जाता है।
~~शिवानन्द #अधुरा
मैं अपनों के लिए
खुद हिस्से की अपनी खूबसूरत चीज छोड़ हूं।
कृतज्ञता का भावार्थ नहीं है मैं खुद खो रहा हूं।

सब सहज नहीं इतना जितना मैं बतलाता हूं।
झुठी दिलासो में खुद के दिल को झुठलाता हूं 

हरबार हम जो सोच ले मनमुताबिक हो ही कहा पाता है।
कुछ किरदारों में रंग भरा होने पर भी कुछ अधुरा रह जाता है।
~~शिवानन्द #अधुरा