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आमने-सामने एक दिन हम दोनों। आमने सामने खड़े थे। जब

आमने-सामने एक दिन हम दोनों।
आमने सामने खड़े थे।
जबान दोनों की चुप थी।
पर आंखों में शिकवे बड़े थे।
कुछ ऐसे अब अपनी लड़ाई जारी है।
आंखो से आंखों की पढ़ाई जारी है।
क्यों रिश्तों की अहमियत
 ना रही उस की नज़रों में।
क्या उस के सपने इतने बड़े थे।
एक दिन,,,,,,,,।
ताहिर।।। #AamneSamne
आमने-सामने एक दिन हम दोनों।
आमने सामने खड़े थे।
जबान दोनों की चुप थी।
पर आंखों में शिकवे बड़े थे।
कुछ ऐसे अब अपनी लड़ाई जारी है।
आंखो से आंखों की पढ़ाई जारी है।
क्यों रिश्तों की अहमियत
 ना रही उस की नज़रों में।
क्या उस के सपने इतने बड़े थे।
एक दिन,,,,,,,,।
ताहिर।।। #AamneSamne