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मन के सागर में भावनाएं हिलोरें लेती है,,,,,,,,,,,,

मन के सागर में भावनाएं हिलोरें लेती है,,,,,,,,,,,,
जो ना कह पाया लफ़्ज़ों में वो लिखने को जी करता है।

जब मैं आया इस परिवार में था मैं बिल्कुल अंजान, 
सब लोगों में घुलना-मिलना ना था मेरे लिए आसान।

कभी लिखा नहीं था मैंने अपने अनकहे जज़्बात।
शायद कभी मौका नहीं या खुद को जाना ही नहीं।

या डरता था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लोग क्या कहेंगे,
मां की ममता,,पिता का प्यार, बहना तुझसे पाया मैंने।

बनी प्रेरणा तुम मेरी मुझमें विश्वास जगाया,,,,,,,।
कर सकता हूं,,लिख सकता हूं, मै भी अपने जज्बात।

 फिर टूटे सपने, अधूरे किस्से और कान्हा का प्यार,
एक एक कर लिखने लगा मैं अपने अनकहे अल्फ़ाज़।

आज मुझे पता नहीं क्या लिखता हूं कैसा दिखता हूं,
पर हां,,,जो भी लिखता हूं, मिलता है हर क्षण ढेरों प्यार।
अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🙏

©Ashutosh Mishra #अनकहेअल्फ़ाज़ 
म के सागर में भावनाएं हिलोरें लेती है।
जो कह ना पाया लफ़्ज़ों में वो लिखने का मन करता है।
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#nojotohindi Babli BhatiBaisla Rakesh Srivastava Mili Saha आशुतोष पांडेय (आशू) सनातनी हिंदू प्रबुद्ध ब्राह्मण समाज सेवा संस्थान भारत

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