खोल आंखें........ देख कि इक़ नन्ही सी दुनिया भी सजाई है तेरे इंतेज़ार में तमाम रातें जागते बिताई है . बेचैन कर रहे थे हालात इधर के उधर के और बस तुझको देखा कि राहत पाई है . अपने बदन में महसूस किया है पूरे महीनों में तू मुस्कुराता है ये देख क़ायनात मुस्कुराई है . मेरे हिस्से की तमाम खुशियां तेरे नाम हुई इंसा अच्छा है तेरा बाप वफ़ाएँ निभाई हैं . तेरी खुश आमद की घड़ी आई है अब वापिस जां में जां आई है . खोल आंखें