आईना झूठा लगे जो हकीकत न दिखाए। अपने आँसू हमने पलकों के भीतर छुपाए। हमारा गम तो छुपा ले ये बड़ी ही सफाई से, झूठी मुस्कान दिखाकर ज़माने से वफ़ा निभाए। कैद कर ले मेरे अक़्स को उम्र भर के लिए, मेरी ज़िंदगी की असलियत पल में मिटाए। मुझको मेरी शख़्सियत से करके जुदा अब, मेरे ज़ख़्म कुरेद कर मुझे काफ़िर बनाए। औरत होना इतना भी मुश्किल नहीं होता, जो दुनिया के मनमुताबिक सच बताए। ♥️ Challenge-960 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।