जन्नत ए हुज़ूर चांद इश्क़ का बड़े दिनों बाद दिखलाई दिया रोशनी में डूबता मन का मेरे आंखों को इक नूर मिला जुबाएं दस्तक एक अरस बाद मेरे कानों पे ठहर गई रूह तेरी मेरी जिस्मों पे जिंदा थी तेरी एक आवाज़ ये कह गई एक मंजर बार बार हर बार करवटें करवट बदल बदल कर उसके आने का इंतज़ा कर रहा बड़ी गुज़ारिश होती है उस लम्हें की सालों से गुज़र ना जाए वो मौसम की तरह कैद है आरजू ए इस दिल में वक़्त, बेवक्त आके धड़का के चला जाता है जंजीरे तोड़े तो तोड़े कैसे कोई सीमाएं लकीरों की ये मन ही तो बांधता है उम्मीदों पे ठहरती सांसों को, नैनन में तू बसा उम्मीदों पे ठहरती सांसो को, नैनन में तू बसा बेखबर है चांद अभी सूरज के आने से बादल की ओढ़ में, तू मुझको मुझी से चुरा तू मुझको मुझी से चुरा 💞 Rashmi painuly 💞