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समय के सीमा में बंधे एक डोर से लटका हूं, हा मैं ते

समय के सीमा में बंधे एक डोर से लटका हूं,
हा मैं तेरे अपनेपन की अंधेरी गलियों में भटका हूं,
कहीं ऐसा ना हो की गलत हो जाए सबके नजरों में,
इस लिए बेहतर है कि खुद कैद हो जाए मन के घरों में।

हा तू कहीं से भी गलत नहीं है जो तुझसे रूठ जाऊं,
मेरे अंदर के सारे पहलुओं को बेपर्दा तुमसे ही पाऊं,
कहीं ऐसा ना हो कि मैं खुद को खो दू बदलने में,
बेहतर है कि शांत मुस्कुरा दू में खुद को संभलने में।

तू जो मुझे हरबार कुछ कहने को आगे करता है,
मेरा मन तो बस तेरे अल्फाजों को तहरिज करता है,
कहीं ऐसा ना हो तेरे क़दमों पे मेरा वजूद खो जाए,
बस लोगों से बिगड़ते रिश्ते को मेरा दिल डरता है।

तू कहता है कि में लोगो से सुन के चुप हो जाता हूं,
मैं अपनी सादगी का ही तो परिचय समझाता हूं,
कहीं ऐसा ना ही की मेरे बोलने से समझ बिखर जाए,
बस यही सोच मैं सबकी दी कमियों को अपनाता हूं।
 डर एक ऐसा भाव है जो जीवन की अनिश्चितताओं के साथ हमेशा बना रहता है।

आज इसी भाव पर लिखें।

#ऐसानहो
#collab 
#yqdidi   #YourQuoteAndMine
Collaborating with  YourQuote Didi
समय के सीमा में बंधे एक डोर से लटका हूं,
हा मैं तेरे अपनेपन की अंधेरी गलियों में भटका हूं,
कहीं ऐसा ना हो की गलत हो जाए सबके नजरों में,
इस लिए बेहतर है कि खुद कैद हो जाए मन के घरों में।

हा तू कहीं से भी गलत नहीं है जो तुझसे रूठ जाऊं,
मेरे अंदर के सारे पहलुओं को बेपर्दा तुमसे ही पाऊं,
कहीं ऐसा ना हो कि मैं खुद को खो दू बदलने में,
बेहतर है कि शांत मुस्कुरा दू में खुद को संभलने में।

तू जो मुझे हरबार कुछ कहने को आगे करता है,
मेरा मन तो बस तेरे अल्फाजों को तहरिज करता है,
कहीं ऐसा ना हो तेरे क़दमों पे मेरा वजूद खो जाए,
बस लोगों से बिगड़ते रिश्ते को मेरा दिल डरता है।

तू कहता है कि में लोगो से सुन के चुप हो जाता हूं,
मैं अपनी सादगी का ही तो परिचय समझाता हूं,
कहीं ऐसा ना ही की मेरे बोलने से समझ बिखर जाए,
बस यही सोच मैं सबकी दी कमियों को अपनाता हूं।
 डर एक ऐसा भाव है जो जीवन की अनिश्चितताओं के साथ हमेशा बना रहता है।

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sbhaskar7100

S. Bhaskar

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