नाम दिखता है अनुशासन दीखता है भूत वर्तमान का शासन दिखता है संस्कार दिखता है संगठन दिखता है देशभक्ति का गठन दिखता है बस नहीं दिखता एकता ! आंतरिक शासन दिखता है कोपभाजन दिखता है अध्यक्ष का गण दिखता है वाणिज्य का पतन दिखता है समय का सदन दिखता है लोकतंत्र का बदन दिखता है बस नहीं दिखता राजधर्म ! वर्तमान लगन दिखता है विश्वास सघन दिखता है प्रेम-चिन्तन दिखता है तप-तपन दिखता है भक्ति मगन दिखता है बस नहीं दिखता कर्मवीर ! गणित का अहम दिखता है विचार का गगन दिखता है योजना का हवन दिखता है नौकरशाह का गबन दिखता है समाजवादियों का दमन दिखता है दल का कदम दिखता है बस नहीं दिखता नेता ! हज़ारों-लाखों में चुना गया 'एक' चरित्र का वो आवश्यक भीड़ स्वभाविकता से समभाव जोड़ता क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता || क्या भारत के 29 टुकड़े हैं? नाम दिखता है अनुशासन दीखता है भूत वर्तमान का शासन दिखता है संस्कार दिखता है संगठन दिखता है