मेरी ख़ामोशी को कोई मज़बूरी ना समझ अपनी ख़ामोशी की तह में छुपा लेती हूंँ अपनी ज़िन्दगी की सारी उलझन शोर कभी मुश्किल आसान नहीं करती हज़ार सवालों से अच्छी मेरी ख़ामोशी ना जाने कितने सवालों की लाज़ मैंने रख ली चुभता तो बहुत कुछ तीर की तरह लेकिन ख़ामोश रहती हूंँ तेरी तस्वीर की तरह बहुत ठोकरें खायीं हूंँ ज़िन्दगी और हालत से जब तुमने ना समझा मेरी ख़ामोशी को क़िस्मत के हवाले सब कुछ छोड़ अब ख़ामोश रहना बेहतर समझा ♥️ Challenge-796 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।