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लक्ष्य से जो जाओ भटक!! थक जाए जो हिम्मत कभी!! तो

लक्ष्य से जो 
जाओ भटक!!
थक जाए 
जो हिम्मत कभी!!
तो कर लेना याद
पिता के बोझ तले झुके
मग़र मजबूत काँधे!!
माँ की बेबस 
मग़र नूर भरी आँखे!!
जो काफ़ी हैं तुझे
फिर से झिंझोड़ने के लिए!!

©Deepak Bisht #नूर-ए-हिम्मत
लक्ष्य से जो 
जाओ भटक!!
थक जाए 
जो हिम्मत कभी!!
तो कर लेना याद
पिता के बोझ तले झुके
मग़र मजबूत काँधे!!
माँ की बेबस 
मग़र नूर भरी आँखे!!
जो काफ़ी हैं तुझे
फिर से झिंझोड़ने के लिए!!

©Deepak Bisht #नूर-ए-हिम्मत