सालों बाद वापिस आज मैं फिर उसी खिड़की पर खड़ी थी यादों का बोझ लिए वक्त बहुत बीत गया था और याद भी बहुत बढ़ गई थी गली में से साइकिल से निकालना घंटी बजाते हुए और मेरी धड़कनों का तेज हो जाना एकाएक सब कुछ बहुत याद आ रहा था वह आखरी मुलाकात भी !!! ऑटो में बैठी हुई मैं और मेरा दिल दोनों समझ के बाहर थे दिल धड़क रहा था उसकी स्पीड ऑटो से भी तेज थी बस सोच रहा ऑटो से कूदकर खुद ही भाग ले स्टेशन पर पहुंचते ही होरन सुनाई दिया मै भागते हुए सीधा प्लेटफार्म पर पहुंची ट्रेन को सिग्नल मिल चुका था जिंदगी में एकदम फिल्मी माहौल बना हुआ था मेरी नजरें ट्रेन में बस एक ही शख्स को ढूंढ रही थी पर उस शख्स को छोड़कर हर चीज मुझे दिखाई दे रही थी एकाएक भागते हुए मैं प्लेटफार्म पर किसी से टकराई और वह वही शख्स था जिसे मैं ढूंढ रही थी... Aakhri mullakat