*यादों के पन्नों से भाग -10* गैरों की तरफ दिल उसका मचलने लगा है , धीरे-धीरे अब सनम मेरा बदलने लगा है I गुजारिश मेरे दिल की ना गवार गुज़रती है उसे, अब दिल उसका बेगानी राहों पर चलने लगा है I थामा था मेरा हाथ उम्र भर साथ चलने के लिए , अब मेरे हाथों से उसका हाथ फिसलने लगा है I लबों पर लफ्जों की लरजिश तमाम गायब है, बात बात पर अब वो मुझ पर बिगड़ने लगा है I धीरे-धीरे अब सनम मेरा बदलने लगा है I ✍️रवि शंकर भारद्वाज बिल्कुल नयी ग़ज़ल बिल्कुल नये लिबास में,,,प्यार दें . #newpost #Broken #changes #trendingno1 #reading