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प्रिय, उस अंतिम समय में, जब मेरी ये देह हो निस्तेज

प्रिय, उस अंतिम समय में,
जब मेरी ये देह हो निस्तेज, अपनी रश्मि खो दे,
झुर्रियों के बीच में सौंदर्य, जब खुद को डुबो दे ।
जब मेरी आँखों के घेरे, चुप, छिपा लें स्वप्न सारे,
करवटों से आह निकले, आह में तुमको पुकारे ।
तुम चले आना, मेरी, उस कल्पना के चिर निलय में,
हाँ, नहीं कुछ और चाहूं, प्रिय, उस अंतिम समय में ।। प्रिय, उस अंतिम समय में,
जब मेरी ये देह हो निस्तेज, अपनी रश्मि खो दे,
झुर्रियों के बीच में सौंदर्य, जब खुद को डुबो दे ।
जब मेरी आँखों के घेरे, चुप, छिपा लें स्वप्न सारे,
करवटों से आह निकले, आह में तुमको पुकारे ।
तुम चले आना, मेरी, उस कल्पना के चिर निलय में,
हाँ, नहीं कुछ और चाहूं, प्रिय, उस अंतिम समय में ।।
- Nitin Kr Harit
प्रिय, उस अंतिम समय में,
जब मेरी ये देह हो निस्तेज, अपनी रश्मि खो दे,
झुर्रियों के बीच में सौंदर्य, जब खुद को डुबो दे ।
जब मेरी आँखों के घेरे, चुप, छिपा लें स्वप्न सारे,
करवटों से आह निकले, आह में तुमको पुकारे ।
तुम चले आना, मेरी, उस कल्पना के चिर निलय में,
हाँ, नहीं कुछ और चाहूं, प्रिय, उस अंतिम समय में ।। प्रिय, उस अंतिम समय में,
जब मेरी ये देह हो निस्तेज, अपनी रश्मि खो दे,
झुर्रियों के बीच में सौंदर्य, जब खुद को डुबो दे ।
जब मेरी आँखों के घेरे, चुप, छिपा लें स्वप्न सारे,
करवटों से आह निकले, आह में तुमको पुकारे ।
तुम चले आना, मेरी, उस कल्पना के चिर निलय में,
हाँ, नहीं कुछ और चाहूं, प्रिय, उस अंतिम समय में ।।
- Nitin Kr Harit

प्रिय, उस अंतिम समय में, जब मेरी ये देह हो निस्तेज, अपनी रश्मि खो दे, झुर्रियों के बीच में सौंदर्य, जब खुद को डुबो दे । जब मेरी आँखों के घेरे, चुप, छिपा लें स्वप्न सारे, करवटों से आह निकले, आह में तुमको पुकारे । तुम चले आना, मेरी, उस कल्पना के चिर निलय में, हाँ, नहीं कुछ और चाहूं, प्रिय, उस अंतिम समय में ।। - Nitin Kr Harit #lifequotes #truelove #yqbaba #aaina #yqdidi #yqhindi