प्रिय, उस अंतिम समय में,
जब मेरी ये देह हो निस्तेज, अपनी रश्मि खो दे,
झुर्रियों के बीच में सौंदर्य, जब खुद को डुबो दे ।
जब मेरी आँखों के घेरे, चुप, छिपा लें स्वप्न सारे,
करवटों से आह निकले, आह में तुमको पुकारे ।
तुम चले आना, मेरी, उस कल्पना के चिर निलय में,
हाँ, नहीं कुछ और चाहूं, प्रिय, उस अंतिम समय में ।।
- Nitin Kr Harit #lifequotes#truelove#yqbaba#aaina#yqdidi#yqhindi