बुरा होने के बाद भी, तक़दीर को अब कोसा नहीं जाता, गर छीनती है वो लाजवाब, दे देती है बहुत सुंदर उम्मीद। होते हैं उसके कुछ सबक, ज़िन्दगी की बेहतरी के लिये, गर करती है वो ज़लील, दे देती है बहुत बेहतर तजरीद। तय होता है ज़िंदगी में हर आने-जाने वाले का वक़्त भी, गर भूलता है कोई, वो करा देती है किसी से तर तम्हीद। निस्बतों में भी होता हिसाब, हर छोटे-बड़े लेन-देन का, गर कर ना पाऊँ अदा, ख़ुद ही कर देती है फ़िर तज्दीद। इसलिए 'धुन' भी जलाये रखती है अपने यक़ीं का दीप, गर ज़माना लगाये तोहमत, कर देती है अक़्सर तरदीद। तजरीद- Progression, Imaginative, तम्हीद- Introduction, तर- Fresh, तज्दीद- Renewal, निस्बत-Relation, Connection, तरदीद- Refutation रमज़ान 22वाँ दिन