आज फिर गया था मैं उसी दुकान में गोलगप्पे खाने तुम साथ नहीं थी, तो भैय्या लगे कम तीखा बनाने। गोलगप्पे खाने में बहुत मज़ा आया इस बार तुम्हारे साथ सच में इतना मज़ा नहीं आता था यार। बस भैय्या ने अचानक मेरी खैरियत पूछ लिया एकदम मस्त हू मैंने भी डटकर कह दिया। पर मेरे जेहन में ख्याल आया उन्होंने ऐसा पूछा क्यों जवाब आया बिन तीखा पहली बार किसीको देखा रोता यूं। पर याद रखो यह जुदाई भी सह लूंगा मैं तुम्हे वापस आने की दुहाई ना दूंगा मैं।। जुदाई। The pangs of separation.