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सलाम दुआ के बाद हाथ क्या अब मिलाना रह गया दिल ही ज

सलाम दुआ के बाद हाथ क्या अब मिलाना रह गया
दिल ही जब  दिल से ना मिले तो बहाना  रह गया 
बाँट कर नफरत जो बंद कर चले हैं अपनी दुकानों को 
उनके  मुकद्दर  में  बस मौत  से  घबराना  रह गया 
आदमी से आदमी का कटना अब हुआ है सच साबित 
महलों  में  जब उनके  उन्ही  का  ठिकाना रह गया 
कामयाबी यह नहीं थी के चाँद पर दुनिया  बसाएं हम 
नाकामी तो यह है तबाही के बाद भी कोरोना रह गया 
हर शय के दिल में बसी थी इस दुनिया की मोहब्बत 
अब  जो छिन रही है  तो बस  रोना धोना  रह गया
शाह फैज़ nasheen Baby  Suman Zaniyan Maha Khan
सलाम दुआ के बाद हाथ क्या अब मिलाना रह गया
दिल ही जब  दिल से ना मिले तो बहाना  रह गया 
बाँट कर नफरत जो बंद कर चले हैं अपनी दुकानों को 
उनके  मुकद्दर  में  बस मौत  से  घबराना  रह गया 
आदमी से आदमी का कटना अब हुआ है सच साबित 
महलों  में  जब उनके  उन्ही  का  ठिकाना रह गया 
कामयाबी यह नहीं थी के चाँद पर दुनिया  बसाएं हम 
नाकामी तो यह है तबाही के बाद भी कोरोना रह गया 
हर शय के दिल में बसी थी इस दुनिया की मोहब्बत 
अब  जो छिन रही है  तो बस  रोना धोना  रह गया
शाह फैज़ nasheen Baby  Suman Zaniyan Maha Khan