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चाँद की डोली तारों की बारात होगी ऱूख ए म़हाताब क

 चाँद की डोली तारों की बारात होगी

ऱूख ए म़हाताब के दीदार को साथ पूरी काय़नात होगी !
जा़म ए हु़स्न का पीऊँगा मैं, बेख़ुदी  की वो रात होगी ! मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें।

इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं।

बरसात होगी
बात होगी
साथ होगी
रात होगी
 चाँद की डोली तारों की बारात होगी

ऱूख ए म़हाताब के दीदार को साथ पूरी काय़नात होगी !
जा़म ए हु़स्न का पीऊँगा मैं, बेख़ुदी  की वो रात होगी ! मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें।

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बरसात होगी
बात होगी
साथ होगी
रात होगी
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator
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