गरोबो तुम ग़ुलाम थे.. गुलाम हो.. और गुलाम ही रहोगे.. चाहे अंग्रेज़ो के या फिर इन मदमस्त सत्ताधारियोंके.. आझादी तो बस ढोंग है.. आझादी