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पल्लव की डायरी जिंदगी जीना अब सजा हो गयी है शिकारी

पल्लव की डायरी
जिंदगी जीना अब सजा हो गयी है
शिकारी फँसा ले जैसे जाल में
हर सांसे किसी की गुलाम हो गयी है
सूरते हाल शुद्ध हवा भी लेना 
वायरसों के हवाले हो गयी है
रोज नयी बनती बीमारियों को झेलूँ
या पाबंदियों से घुट जाऊँ
बढ़ रहे हाड़ के मरीज 
कम उम्रो में बीपी शुगर के
शिकार हो रहे है
टहलना और सैर करने में
प्रदूषणअब खलल डाल रहे है
विकसित हो कर भी हम सब
जिंदगी की जंग हार रहे है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #Nightlight विकसित होकर भी,जंग जिंदगी की हार रहे है
#nojotohindi

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